Friday, December 31, 2010


मैं मीरा रोड मे जिस सोसाइटी मे रहता हूं, उस बिल्डिंग मे निचे एक नोटीस टंगी हुई है. बाकी सब सूचनाओ के साथ उसमे लिखा गया है कि 'बार गर्ल्स को फ्लैट भाड़े पे देना सख्त मना है.' जब पहली बार यह पढ़ा तो काफी हंसी आई थी.
जब मुंबई मे डान्स बार उफान पर थे तब विरार जानेवाली गाड़ियों मे रात को १२ बजे के बाद कि ट्रेनों मे मीरा रोड स्टेशन पर कई महिलाएं मेक अप से लबालब उतरती थी. अपनी पहचान को छुपाने के  पुरे प्रयास वो करती थी(गर्मी के दिनों मे भी साल ओढ़े प्लेटफोर्म से गुज़रती थी). लेकिन चेहरे पर मेक अप कि निखालसता असलियत बयान कर ही देती थी. जो इंसान कभी डान्स बार गया न हो वो भी कुछ दिनों(यानी रातों) के बाद स्टेशन पर समज जाता था कि यह महिलाएं मजबूरी के कौन से क़ारोबार से वापिस लौटी है. गुजरात मे शराब पर पाबंदी जैसे कागज़ी रही है, वैसे मुंबई मे भी डान्स बार पाबंदी सरकारी फाइलों कि शोभा ही रही है. मुंबई मे डान्स बार सरकारी लिहाज़ से भले ही बंद हो गए हो लेकिन आज भी रात को १२ बजे के बाद कि लोकल मे मेक अप छुपाती महिलाएं उतरती है. इतनी क्रेडिट सरकार को  दे सकते है कि इन महिलाओं कि तादाद थोड़ी कम हो गई है, बंद नहीं हुई.
एक जुमला बन गया है कि मीना बाज़ार का रास्ता वाया मीरा रोड हो कर गुज़रता है. वैसे तो मुंबई में ऐसे कई अनाधिकृत इलाके है ही जो अपनी अनाधिकृताता के लिए सालों से सुमार है. और अब तो उस व्यवसाय के अधिकृत प्रतिक भी बन गए है. पुलिस के ख़बरी से लेकर मीना बाज़ार कि मसक्कालियाँ मीरा रोड में मौजूद है. इसी लिए ये उपनगर बारह महीने रौ और आईबी के रडार पे रहता है.  इन सब चीज़ों के बिच मीरा रोड कि एक महत्वपूर्ण पहचान यहाँ का मिडल क्लास है. मुंबई के नज़रिए से देखें तो मीरा रोड मिडल क्लास का मक्का भी है, और मथुरा भी है. लेकिन बाकी कि तुलना में इस पहचान को नज़र अंदाज़ किया जाता है.

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